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बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2636
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

अध्याय - 14

चीन की सभ्यता

(China Civilization)

 

प्रश्न- चीन की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता के इतिहास के प्रमुख साधनों का उल्लेख करते हुए प्रमुख राजवंशों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

अथवा
चीन की सभ्यता के ऐतिहासिक स्रोतों का वर्णन कीजिए। यहाँ किन राजवंशों ने शासन किया?
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. चीन की सभ्यता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
2. चीन के इतिहास के सम्बन्ध में कौन से ऐतिहासिक स्रोत महत्वपूर्ण हैं? उल्लेख कीजिए।
3. चीन के इतिहास जानने के प्रमुख साधनों का उल्लेख कीजिए।
4. चीन के प्रमुख राजवंशों का परिचय दीजिए।
5. चीन के राजनीतिक क्षेत्र में किन राजवंशों का उदय हुआ? संक्षेप में बताइये।

उत्तर-

चीन की सभ्यता

चीन की सभ्यता विश्व की प्रमुख सभ्यता है। आज विश्व की अनेक सभ्यताएँ इतिहास के पन्नों तक ही संकुचित हो गई हैं, परन्तु चीन की सभ्यता आज भी जीवित है। मिस्र, मेसोपोटामिया और यूनान की तरह यह अनेक जातियों और नस्लों के लोगों की नहीं अपितु एक ही जाति के लोगों की सभ्यता है। यहाँ के लोग एक ही भाषा बोलते और लिखते हैं।

चीन की सभ्यता मिस्र, मेसोपोटामिया और सिन्धु घाटी की सभ्यताओं से भी प्राचीन है। प्रो. तानयुनशान ने इस सभ्यता की प्राचीनता के विषय में लिखा है "पाश्चात्य विद्वान मिस्र और बेबीलोनिया की सभ्यता को काल के हिसाब से सबसे पुरानी मान लेने में गलती करते हैं। उनकी यह गलती इसलिये होती है कि लोगों को चीन के इतिहास का ज्ञान प्रायः नहीं के बराबर है एवं चीन की संस्कृति को हृदयंगम नहीं कर पाये हैं।'

चीन एशिया के उत्तरी पूर्वी भाग में स्थित है। इसके उत्तर में बर्फ जमी रहती है और दक्षिण में हिमालय पर्वत इसको अन्य देशों से अलग करता है। इसकी पूर्वी सीमा पर प्रशान्त महासागर है और पश्चिम में दो बड़े रेगिस्तान हैं। यहाँ की राजधानी बीजिंग है। यहाँ तीन नदियाँ हैं- दक्षिण में सी-क्यांग, मध्य में ह्वांगहो तथा उत्तर में वांग हो। इन नदियों में बाढ़ आने के कारण चीन के निवासी इन्हें 'चीन की विपत्ति कहकर पुकारते थे, परन्तु चीन को वास्तविक प्राण देने वाली ये ही नदियाँ हैं।

चीन का प्रचीन नाम 'चुंग को' था जिसका अर्थ है 'स्वर्ग के नीचे का राज्य। आगे चलकर जो विदेशी 'चुंग' शब्द नहीं बोल सकते थे, वे इसे 'चीन' कहने लगे। डॉ. गोयल के अनुसार, "उनके देश का नाम सम्भवतः तीसरी शताब्दी ई. पू. में राज्य करने वाले 'चिन' वंश के नाम पर विदेशियों द्वारा दिया गया था। आज यह एशिया का ही नहीं बल्कि विश्व के विशाल एवं महत्वपूर्ण देशों में से एक है।

चीन के इतिहास जानने के प्रमुख साधन

प्राचीन चीन साहित्यिक रचना की दृष्टि से समृद्ध था। अतः चीन के साहित्यकार अपनी कृतियों में अपने देश की गौरव गाथाओं का वर्णन करते थे। इन पौराणिक कथाओं से चीन के तत्कालीन इतिहास के विषय में विशेष जानकारी प्राप्त होती है। इनमें कन्फ्यूशियस द्वारा रचित 'शू- चिंग' नामक पुस्तक विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इस पुस्तक में ऐतिहासिक कथाओं का संकलन मिलता है जिनसे चीन के प्राचीन इतिहास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त 'शी-चिंग' (काव्य-संग्रह) नामक पुस्तक से भी चीनी सभ्यता की जानकारी होती है। इन दोनों पुस्तकों से हमें जिस सभ्यता का ज्ञान होता है, वह आदिम सभ्यता नहीं, बल्कि एक विकसित सभ्यता थी।

चीन में बहुत बड़ी संख्या में खुदाई से प्राप्त हड्डियों पर अंकित शिलालेखों से प्राचीन चीन के इतिहास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। इन हड्डियों पर भविष्य जानने के लिए खुदाई की जाती थी। इसलिये इन्हें 'आरेकल बोन' कहा जाता था। होनान प्रान्त के अन्यांग जिले में ऐसी हड्डियाँ बहुत अधिक संख्या में प्राप्त हुई हैं। इन हड्डियों पर उस समय के लोग जीवनोपयोगी प्रश्न खुदवाते थे और फिर उन्हें पूर्वजों अथवा देवताओं से पूछते थे। उन लोगों की मान्यता थी कि ऐसे प्रश्नों का उत्तर देवता स्वप्नों में आकर देते हैं। अतः इन हड्डियों पर खुदे हुए लेखों से चीन के प्रारम्भिक इतिहास के बारे में विशेष जानकारी प्राप्त होती है।

चीन के प्रमुख राजवंश

चीन की पौराणिक गाथाओं के अनुसार सबसे पहले फान- कू नामक व्यक्ति ने सृष्टि का निर्माण किया। तत्पश्चात् क्रमशः बारह या तेरह दैवी सम्राटों तथा ग्यारह स्थलज सम्राटों ने यहाँ राज्य किया। उनके बाद 9 मानुष सम्राट हुए। कुछ ग्रन्थों में दैवी, स्थलज और मानवीय सम्राटों के स्थान पर तीन महान सम्राटों फू-शी, नुई- कुआ और शेन नुंग का वर्णन मिलता है। इनमें फू-शी ने चीनियों को मछली पकड़ना, पशुपालन, संगीत लेखन कला और भविष्य के लिये उपयोगी 'आठ प्रतीक सिखाए। नुई- कुआ ने विवाह संस्था को व्यवस्थित किया तथा शेन-नुंग ने कृषि कर्म और वैद्यक शिक्षा प्रदान की।

इन तीनों के बाद पाँच सम्राटों ने राज्य किया। इनमें प्रथम सम्राट ह्वांग-टी (पीत सम्राट ) था। ह्वांग-टी ने बर्बर आक्रमणकारियों को पराजित किया, ईंटों और बैलगाड़ी का विकास किया, भूमि को 'चिंग- तिएन पद्धति के अनुसार वितरित किया, पंचाग को परिष्कृत किया और तिथि गणना में षष्ठिक पद्धति आरम्भ की। ह्वांग-टी की महारानी लीत्जू ने सर्वप्रथम चीन के लोगों को रेशम के कीड़ों को पालना सिखाया था। ह्वांग-टी की मृत्यु के बाद क्रमशः चुआन-शियू, खू-याओं तथा शुन ने राज्य किया। इन्होंने भी प्रथम सम्राट ह्वांग-टी की भाँति चीन की सभ्यता को विकसित किया। चीनी इतिहास में याओ तथा शुन को सबसे लोकप्रिय शासक माना जाता है। इनका शासन काल 2456 ई.पू. से 2205 ई.पू. तक मान सकते हैं। इसके बाद चीन में जिन राजवंशों का उत्थान हुआ, उनका संक्षिप्त विवरण निम्नवत् है -

1. हासिया राजवंश ( 2205 ई.पू. से 1766 ई.पू. तक)

हासिया वंश का पहला सम्राट 'यू' था, जिसने 2205 ई.पू. में इस वंश की स्थापना की थी। यू एक लोकप्रिय और प्रतापी राजा था। इस वंश के 18 राजाओं ने चीन पर शासन किया। इस युग के लोग शांग-टी ( Shang-Ti) की पूजा करते थे। यह उनका सर्वोच्च देवता था।

हासिया वंश का अठारहवाँ शासक 'की' था। चीनी इतिहासकारों के अनुसार 'की' निर्दयी, बर्बर और अत्याचारी शासक था। की को गद्दी से हटाने के लिए शांग वंश के राजकुमार टांग ने एक- विद्रोह का नेतृत्व किया, जो सफल रहा। टांग ने की को गद्दी से हटा दिया और वह स्वयं राजा बन गया। टांग ने ही शांग राजवंश की स्थापना की। टांग के काल से ही चीन की प्राचीन सभ्यता का स्वर्णकाल आरम्भ होता है।

2. शांग राजवंश (1766 ई.पू. से 1122 ई. पू. तक)

शांग राजवंश की नींव टांग ने डाली। इस वंश के राजाओं ने 1766 ई. पू. से 1122 ई.पू. तक शासन किया। इस राजवंश के समय में चीन में प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति हुई। इतिहासकार जॉन बाउल के अनुसार, "शांग वंश के शासन काल में चीन में साहित्य और कला विकसित अवस्था में थी। इस वंश का अन्तिम सम्राट चाऊ सिन था। वह एक वीर तथा योग्य शासक था, परन्तु उसने अपनी प्रेमिका ता-ची को प्रसन्न करने के लिये जनता पर भयंकर अत्याचार किये। इसका परिणामय यह हुआ कि उसके सेनापति चाऊ वुवांग ने विद्रोह कर उसे गद्दी से अपदस्थ कर दिया और स्वयं शासक बन बैठा। इस प्रकार चाऊ वुवांग ने चाऊ वंश की नींव डाली।

3. चाऊ राजवंश (1122 ई.पू. से 225 ई.पू.)

चीन में चाऊ राजवंश की स्थापना 1122 ई.पू. में चाऊ वुवांग ने की थी। इस वंश में 37 सम्राट हुए जिन्होंने 1122 ई.पू. से लेकर 225 ई.पू. तक शासन किया। इस समय चीन ने सभ्यता एवं संस्कृति के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की। आधुनिक इतिहासकार तान यून शान के अनुसार, "इस युग में संस्कृति तथा सभ्यता का सर्वतोन्मुखी विकास हुआ।'

चीन के इतिहास में चाऊ युग को सामन्ती युग भी कहा जाता है। इस वंश के शासकों के अधीन विशाल साम्राज्य था। अतः उन्होंने अपने राज्य को छोटे-छोटे प्रान्तों में विभक्त कर दिया और शासन प्रबन्ध अपने सम्बन्धियों तथा मित्रों को सौंप दिया। ये अधीनस्थ शासक ही सामन्त माने जा सकते हैं। दुर्बल शासकों के समय में इन सामन्तों ने स्वतन्त्र राज्य स्थापित करने का प्रयास किया, जिससे चाऊ वंश का पतन हो गया।

4. चिन वंश (225 ई. पू. से 203 ई. पू. तक) -

चीनी सामन्त एक-दूसरे के विरुद्ध युद्ध में व्यस्त थे। राज्य में अराजकता एवं अव्यवस्था फैल रही थी। ऐसे समय में चिन वंश के सम्राटों ने इसके अस्तित्व की रक्षा की। चित्त वंश के शासकों ने ही पहली बार केन्द्रीय शासन स्थापित किया था। इस वंश के नाम पर ही पूरे देश का नाम चीन पड़ा। शी हुआंग टी इस वंश का महान योद्धा और प्रतापी सम्राट था। उसने 221 ई.पू. में अपने को चीन का सम्राट घोषित किया। उसने चीन की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर एक दीवार का निर्माण करवाया था, जो चीन की दीवार के नाम से विश्वप्रसिद्ध है।

5. हान वंश (202 ई.पू. से 220 ई.)-

चीन में हान वंश के शासकों का शांसन 202 ई. पू. से 220 ई. तक रहा। इस वंश की स्थापना लीयू-ची नामक व्यक्ति ने की थी। इस वंश का सबसे प्रतापी राजा बूती था। उसने पचास वर्ष तक शासन किया और एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की।

6. तांग वंश तांग वंश से पूर्व 581-619 ई. तक

चीन में सूई वंश का शासन रहा। इस वंश का संस्थापक सूई नामक व्यक्ति था। इस वंश के शासकों ने 611-614 ई. तक कोरिया से युद्ध किया, जिसमें चीन पराजित हुआ और उसे जन व धन की काफी क्षति उठानी पड़ी। फलस्वरूप चीन में अराजकता एवं अव्यवस्था फैल गई। इसी बीच ली यान ने सूई वंश को समाप्त कर तांग वंश की स्थापना की। इस वंश में ताई शुंग योग्य एवं कुशल शासक हुआ, जिसने अपनी विजय नीति से चीन को एक विशाल साम्राज्य बना दिया। तांग वंश के समय में चीन में पर्याप्त आर्थिक विकास हुआ था जिससे यहाँ की जनता सुखी तथा समृद्ध थी। इसीलिये इस काल को चीन के इतिहास में द्वितीय स्वर्णकाल के नाम से पुकारा जाता है।

7. शुंग वंश

यह चीन के प्राचीन साम्राज्य का अन्तिम वंश था जिसने दसवीं से तेरहवीं शताब्दी तक राज्य किया। इस वंश का संस्थापक चाओ क्वांग यीन था। वह एक कुशल राजनीतिज्ञ सम्राट था। वह शक्ति के बल पर राज्य करने का अभिलाषी नहीं था। उसने प्रजा की भलाई के लिये कई सुधारात्मक कार्य किये।
शुंग वंश के अन्तिम शासकों के समय में चीन में अराजकता एवं अव्यवस्था फैलने लगी। ऐसी परिस्थितियों में मंगोल नेता कबुलाई खाँ ने अन्तिम शुंग सम्राट को मारकर चीन पर अपना अधिकार कर लिया। इस प्रकार चीन पर मंगोलों का प्रभुत्व स्थापित हो गया। मंगोलों द्वारा चीन पर आधिपत्य के साथ ही चीन में युयान वंश की नींव पड़ी और प्राचीन युग समाप्त हो गया।

इस प्रकार स्पष्ट है कि चीन पर विभिन्न वंशों का शासन रहा और विदेशी आक्रमण भी भी चीन की सभ्यता लगभग 4000 वर्षों तक निरन्तर फलती-फूलती रही।


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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
  4. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  6. प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
  7. प्रश्न- 'फाह्यान पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  8. प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
  9. प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
  10. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
  12. प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
  13. प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए
  14. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं?
  15. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था व आर्थिक जीवन का वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  23. प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
  25. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
  26. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  28. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
  30. प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
  31. प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- वैदिक काल के प्रमुख देवताओं का परिचय दीजिए।
  33. प्रश्न- ऋग्वेद में सोम देवता का महत्व बताइये।
  34. प्रश्न- वैदिक संस्कृति में इन्द्र के बारे में बताइये।
  35. प्रश्न- वेदों में संध्या एवं ऊषा के विषय में बताइये।
  36. प्रश्न- प्राचीन भारत में जल की पूजा के विषय में बताइये।
  37. प्रश्न- वरुण देवता का महत्व बताइए।
  38. प्रश्न- वैदिक काल में यज्ञ का महत्व बताइए।
  39. प्रश्न- पंच महायज्ञ' पर टिप्पणी लिखिए।
  40. प्रश्न- वैदिक देवता द्यौस और वरुण पर टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- वैदिक यज्ञों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- वैदिक देवता इन्द्र के विषय में लिखिए।
  43. प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
  44. प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  45. प्रश्न- वैदिक काल में प्रकृति पूजा पर एक टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- वैदिक संस्कृति की विशेषताएँ बताइये।
  47. प्रश्न- अश्वमेध पर एक टिप्पणी लिखिए।
  48. प्रश्न- आर्यों के आदिस्थान से सम्बन्धित विभिन्न मतों की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- ऋग्वैदिक काल में आर्यों के भौगोलिक ज्ञान का विवरण दीजिए।
  50. प्रश्न- आर्य कौन थे? उनके मूल निवास स्थान सम्बन्धी मतों की समीक्षा कीजिए।
  51. प्रश्न- वैदिक साहित्य से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख अंगों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  52. प्रश्न- आर्य परम्पराओं एवं आर्यों के स्थानान्तरण को समझाइये।
  53. प्रश्न- वैदिक कालीन धार्मिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  54. प्रश्न- ऋत की अवधारणा का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- वैदिक देवताओं पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- ऋग्वैदिक धर्म और देवताओं के विषय में लिखिए।
  57. प्रश्न- 'वेदांग' से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
  60. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में शासन प्रबन्ध का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल के शासन प्रबन्ध की रूपरेखा पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- वैदिक कालीन आर्थिक जीवन का विवरण दीजिए।
  63. प्रश्न- वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य पर एक निबंध लिखिए।
  64. प्रश्न- वैदिक कालीन लोगों के कृषि जीवन का विवरण दीजिए।
  65. प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- ऋग्वैदिक काल के पशुपालन पर टिप्पणी लिखिए।
  67. प्रश्न- वैदिक आर्यों के संगठित क्रियाकलापों की विवेचना कीजिए।
  68. प्रश्न- आर्य की अवधारणा बताइए।
  69. प्रश्न- आर्य कौन थे? वे कब और कहाँ से भारत आए?
  70. प्रश्न- भारतीय संस्कृति में वेदों का महत्त्व बताइए।
  71. प्रश्न- यजुर्वेद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  72. प्रश्न- ऋग्वेद पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- वैदिक साहित्य में अरण्यकों के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- आर्य एवं डेन्यूब नदी पर टिप्पणी लिखिये।
  75. प्रश्न- क्या आर्य ध्रुवों के निवासी थे?
  76. प्रश्न- "आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया था।" विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- संहिता ग्रन्थ से आप क्या समझते हैं?
  78. प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्यों के धार्मिक विश्वासों के बारे में आप क्या जानते हैं?
  79. प्रश्न- पणि से आपका क्या अभिप्राय है?
  80. प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि पर टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन उद्योग-धन्धों पर टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- वैदिक काल में सिंचाई के साधनों एवं उपायों पर एक टिप्पणी लिखिए।
  83. प्रश्न- क्या वैदिक काल में समुद्री व्यापार होता था?
  84. प्रश्न- उत्तर वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
  85. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में प्रचलित उद्योग-धन्धों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए?
  86. प्रश्न- शतमान पर एक टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- भारत में लोहे की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
  89. प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्थिक जीवन पर टिप्पणी लिखिए।
  90. प्रश्न- वैदिककाल में लोहे के उपयोग की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- नौकायन पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- सिन्धु घाटी की सभ्यता के विशिष्ट तत्वों की विवेचना कीजिए।
  93. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोग कौन थे? उनकी सभ्यता का संस्थापन एवं विनाश कैसे.हुआ?
  94. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की आर्थिक एवं धार्मिक दशा का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- वैदिक काल की आर्यों की सभ्यता के बारे में आप क्या जानते हैं?
  96. प्रश्न- वैदिक व सैंधव सभ्यता की समानताओं और असमानताओं का विश्लेषण कीजिए।
  97. प्रश्न- वैदिक कालीन सभा और समिति के विषय में आप क्या जानते हैं?
  98. प्रश्न- वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
  99. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के कालक्रम का निर्धारण कीजिए।
  100. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार की विवेचना कीजिए।
  101. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता का बाह्य जगत के साथ संपर्कों की समीक्षा कीजिए।
  102. प्रश्न- हड़प्पा से प्राप्त पुरातत्वों का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- हड़प्पा कालीन सभ्यता में मूर्तिकला के विकास का वर्णन कीजिए।
  104. प्रश्न- संस्कृति एवं सभ्यता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  105. प्रश्न- प्राग्हड़प्पा और हड़प्पा काल का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- प्राचीन काल के सामाजिक संगठन को किस प्रकार निर्धारित किया गया व क्यों?
  107. प्रश्न- जाति प्रथा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  108. प्रश्न- वर्णाश्रम धर्म से आप क्या समझते हैं? इसकी मुख्य विशेषताएं बताइये।
  109. प्रश्न- संस्कार शब्द से आप क्या समझते हैं? उसका अर्थ एवं परिभाषा लिखते हुए संस्कारों का विस्तार तथा उनकी संख्या लिखिए।
  110. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में संस्कारों के प्रयोजन पर अपने विचार संक्षेप में लिखिए।
  111. प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के प्रकारों को बताइये।
  112. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में नारी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  113. प्रश्न- वैष्णव धर्म के उद्गम के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  114. प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  115. प्रश्न- पुरातत्व अध्ययन के स्रोतों को बताइए।
  116. प्रश्न- पुरातत्व साक्ष्य के विभिन्न स्रोतों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- पुरातत्वविद् की विशेषताओं से अवगत कराइये।
  118. प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
  119. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  120. प्रश्न- पुरातात्विक स्रोतों से प्राप्त जानकारी के लाभों से अवगत कराइये।
  121. प्रश्न- पुरातत्व को जानने व खोजने में प्राचीन पुस्तकों के योगदान को बताइए।
  122. प्रश्न- विदेशी (लेखक) यात्रियों के द्वारा प्राप्त पुरातत्व के स्रोतों का विवरण दीजिए।
  123. प्रश्न- पुरातत्व स्रोत में स्मारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  124. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  125. प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
  126. प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
  127. प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  128. प्रश्न- "सभ्यता का पालना" व "सभ्यता का उदय" से क्या तात्पर्य है?
  129. प्रश्न- विश्व में नदी घाटी सभ्यता के विकास पर प्रकाश डालिए।
  130. प्रश्न- चीनी सभ्यता के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  131. प्रश्न- जियाहू एवं उबैद काल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  132. प्रश्न- अकाडिनी साम्राज्य व नॉर्ट चिको सभ्यता के विषय में बताइए।
  133. प्रश्न- मिस्र और नील नदी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  134. प्रश्न- नदी घाटी सभ्यता के विकास को संक्षिप्त रूप से बताइए।
  135. प्रश्न- सभ्यता का प्रसार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  136. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार के विषय में बताइए।
  137. प्रश्न- मेसोपोटामिया की सभ्यता पर प्रकाश डालिए।
  138. प्रश्न- सुमेरिया की सभ्यता कहाँ विकसित हुई? इस सभ्यता की सामाजिक संरचना पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालिए।
  139. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता के भारतवर्ष से सम्पर्क की चर्चा कीजिए।
  140. प्रश्न- सुमेरियन समाज के आर्थिक जीवन के विषय में बताइये। यहाँ की कृषि, उद्योग-धन्धे, व्यापार एवं वाणिज्य की प्रगति का उल्लेख कीजिए।
  141. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  142. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की लिपि का विकासात्मक परिचय दीजिए।
  143. प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
  144. प्रश्न- प्राचीन सुमेरिया में राज्य की अर्थव्यवस्था पर किसका अधिकार था?
  145. प्रश्न- बेबीलोनिया की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता की सामाजिक.विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए।
  146. प्रश्न- बेबीलोनिया के लोगों की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
  147. प्रश्न- बेबिलोनियन विधि संहिता की मुख्य धाराओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  148. प्रश्न- बेबीलोनिया की स्थापत्य कला पर प्रकाश डालिए।
  149. प्रश्न- बेबिलोनियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
  150. प्रश्न- असीरियन कौन थे? असीरिया की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख करते हुए बताइये कि यह समाज कितने वर्गों में विभक्त था?
  151. प्रश्न- असीरिया की धार्मिक मान्यताओं को स्पष्ट कीजिए। असीरिया के लोगों ने कला एवं स्थापत्य के क्षेत्र में किस प्रकार प्रगति की? मूल्यांकन कीजिए।
  152. प्रश्न- प्रथम असीरियाई साम्राज्य की स्थापना कब और कैसे हुई?
  153. प्रश्न- "असीरिया की कला में धार्मिक कथावस्तु का अभाव है।' स्पष्ट कीजिए।
  154. प्रश्न- असीरियन सभ्यता के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  155. प्रश्न- प्राचीन मिस्र की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? मिस्र का इतिहास जानने के प्रमुख साधन बताइये।
  156. प्रश्न- प्राचीन मिस्र का समाज कितने वर्गों में विभक्त था? यहाँ की सामाजिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  157. प्रश्न- मिस्र के निवासियों का आर्थिक जीवन किस प्रकार का था? विवेचना कीजिए।
  158. प्रश्न- मिस्रवासियों के धार्मिक जीवन का उल्लेख कीजिए।
  159. प्रश्न- मिस्र का समाज कितने भागों में विभक्त था? स्पष्ट कीजिए।
  160. प्रश्न- मिस्र की सभ्यता के पतन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  161. प्रश्न- चीन की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता के इतिहास के प्रमुख साधनों का उल्लेख करते हुए प्रमुख राजवंशों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  162. प्रश्न- प्राचीन चीन की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख कीजिए।
  163. प्रश्न- चीनी सभ्यता के भौगोलिक विस्तार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  164. प्रश्न- चीन के फाचिया सम्प्रदाय के विषय में बताइये।
  165. प्रश्न- चिन राजवंश की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।

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